कभी ये सब भी ब्लॉग लिखते थे आज नहीं लिख रहे हैं.याद फिर भी हैं ये हमारे अपने .

ब्लॉगर डॉ अमर कुमार

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  ब्लॉगर डॉ अमर कुमार 

3 comments:

  1. अंतिम सत्य का आभास कराती इस यात्रा से चंचल स्मृतियों में ठहराव आ गया... आज अहंकार में डूबा मैं न जाने कितने ही साथियों से वैचारिक द्वंद्व करने को उतावला हो रहा था. सब शांत...

    डॉ. अमर जी अपनी अंतिम श्वास तक अपनी समस्त पीड़ाओं को मन में समेटे 'आलोचना' का वास्तविक सुख लेते रहे... उन्होंने कभी किसी की जबरन लल्लो-चप्पो नहीं की.

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  2. विनम्र श्रद्धांजलि...

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